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Wednesday, April 8, 2015

हिन्दू धर्म को नया निखार देगी युवा पीढ़ी

‘हमारे ऋषि-मुनि वैज्ञानिक थे। वे बाहरी वैज्ञानिक खोजों एवं मानव की आंतरिक शांति के लिए नित नए प्रयोग करते थे। वे उन बीजों के समान थे जो अपने अंकुरण के दौरान ऊपर व नीचे की यात्रा एक साथ करते हैं। वे आज के वैज्ञानिकों की भाँति खंड-खंड में शोध नहीं करते थे बल्कि समग्रता और परिपूर्णता उनका उद्देश्य होता था। वो न सिर्फ पृथ्वीवासियों के कल्याण की कामना करते थे बल्कि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की शांति और स्थिरता को अपनी नियमित प्रार्थनाओं में प्रभु से मांगा करते थे। उन्होंने विनाश नहीं बल्कि सृजन का मार्ग चुना इसीलिए हिन्दू संस्कृति में पंचतत्वों को उपसाना में जोड़कर उनके संरक्षण की सुन्दर परम्परा भी हमारे ऋषियों ने ही आरंभ की थी।

    कई लोग चिंतित हैं कि हमारे संस्कारों पर पश्चिमी जगत का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। मेरा विचार है कि हमें इससे भयभीत होने की कतई आवश्यकता नहीं है क्यांेकि सत्य का बीज कभी नहीं मरता। वह शाश्वत होता है। मनुष्य के भीतर भौतिकवाद बढ़ेगा तो असंतोष बढ़ेगा और असंतोष जब अपनी सीमाएं पार करेगा तो मनुष्य फिर से संतोष की खोज में जुट जाएगा। अन्ततः सुख और संतोष उसे अध्यात्म में ही मिलेगा। हमारी आने वाली पीढ़ी केवल कही-सुनी बातों पर नहीं बल्कि धर्म की सत्यता को परखकर उसे अपनाएगी। वो वेदों-पुराणों को खंगालेंगे और धर्म के नाम पर फैली हुई भ्रांतियों को अपने विवेक की छलनी से छानकर हिन्दू संस्कृति को एक नया कलेवर प्रदान करेंगे और यह एक सुखद स्थिति होगी जब युवा पीढ़ी धर्म को परखकर उसे पारस बना देगी।’

    श्रीहरि सत्संग समिति, मुंबई द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव के दौरान पूज्या दीदी माँ साध्वी ऋतम्भरा जी ने उक्त विचार प्रकट किये। एक भव्य शोभायात्रा के पश्चात् पूज्य सदानन्द योगीजी महाराज (तुंगारेश्वर) के कर-कमलों से आयोजन का शुभारंभ हुआ। मुंबई के उपनगर भयंदर की जैसलपार्क चैपाटी पर सम्पन्न हुए सात दिवसीय इस आयोजन की मुख्य कथा प्रवक्ता पूज्या दीदी माँ जी थीं। कथा के मुख्य यजमान रहे श्रीमती ऊषाकिरण-शिवपूजन गुप्ता परिवार। कथा संयोजक श्री शिवनारायण अग्रवाल, श्री मनोज अग्रवाल, स्वागताध्यक्ष श्री गजेन्द्र भण्डारी एवं व्यवस्था प्रमुख श्री सुरेश खंडेलवाल ने अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान किया। इस अवसर पर संस्था के राष्ट्रीय संरक्षक श्री स्वरूपचन्द गोयल, न्यासी श्री मुकुटबिहारी सेक्सरिया, संस्था के मुंबई अध्यक्ष श्री विनोद लाठ, मंत्री श्री सुरेन्द्र विकल, श्री बजरंग चैहान, श्री अमित पंसारी, श्री प्रदीप गर्ग, श्री नरेन्द्र गुप्ता, श्री रोहिदास पाटिल, श्री हंसकुमार पाण्डे, श्री उदितनारायण सिंह, श्री यशवन्त कांगणे, श्री प्रवीण पाटिल, डाॅ.सुशील अग्रवाल, श्री राजेन्द्र मित्तल सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक सम्मिलित हुए।



सौजन्य - वात्सल्य निर्झर, मार्च 2015

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